भारत के सांस्कृतिक उत्त्थान के लिय युवा को भारतीय परम्पराओं से जोड़ना अति आवश्यक : प्राचार्य डॉ. अनुपम अरोड़ा.

admin  3 weeks, 5 days ago Top Stories

-एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में विक्रमी संवत 2081 के नववर्ष और प्रथम नवरात्रि  के उपलक्ष में अखिल भारतीय साहित्य परिषद की पानीपत इकाई द्वारा शुभकामना कार्यक्रम का आयोजन
-भारतीय काल गणना विश्व की सभी गणतीय पद्तियों में सबसे सूक्ष्म है : प्रदीप शर्मा
-हिन्दू नववर्ष राष्ट्रीय अस्मिता व स्वदेशी ज्ञान का महापर्व है :रमेश खुराना   

 PANIPAT AAJKAL , 09 अप्रैल, एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में विक्रमी संवत 2081 के नववर्ष और प्रथम नवरात्रि के उपलक्ष में अखिल भारतीय साहित्य परिषद की पानीपत इकाई द्वारा शुभकामना कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता अखिल भारतीय परिषद साहित्य परिषद के प्रधान व अधिवक्ता प्रदीप शर्मा जी ने की । कार्यक्रम को सफल बनाने में एनएनएस यूनिट्स की भूमिका उल्लेखनीय रही । कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि प्रदीप शर्मा प्रधान अखिल भारतीय साहित्य परिषद और अतिविशिष्ट उपस्थिति करण कपूर सेक्रेटरी अखिल भारतीय साहित्य परिषद तथा वरिष्ठ सदस्य रमेश खुराना रहे । मेहमानों का स्वागत प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा, डॉ संगीता गुप्ता व डॉ. संतोष कुमारी ने पुष्प गमला भेंट करके किया । उनके साथ एनएसएस प्रोग्राम ऑफिसर डॉ राकेश गर्ग, डॉ संतोष कुमारी, डॉ मुकेश पूनिया, प्रो. मयंक अरोड़ा, डॉ. प्रियंका चांदना आदि भी उपस्थित रहे ।

प्रदीप शर्मा ने बताया कि हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होती है । चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का दिन चंद्रमा की कला का प्रथम दिवस माना जाता है । नवसंवत्सर पूरी तरह सूर्य एवं चंद्रमा की गति पर आधारित है । महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीने और वर्ष की गणना करते हुए ‘पंचांग’ की रचना की । गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार इसी दिन से ग्रहों, वार, मास और संवत्सरों का प्रारंभ माना जाता है । हिंदू समाज के लिए यह अत्यंत विशिष्ट है क्योंकि इसी दिन से नया पंचांग शुरू होता है और इस तिथि से ही साल भर के पर्व-त्योहार, विवाह, नामकरण, गृहप्रवेश इत्यादि शुभ कार्यों के शुभ मुहूर्त तय किए जाते हैं । ब्रह्म पुराण के अनुसार, चैत्र प्रतिपदा से ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना शुरू की थी । चैत्र माह में नवरात्र, गणगौर, शीतला सप्तमी, रामनवमी, हनुमान जयंती, महावीर जयंती जैसे पर्व भी आते हैं । इस बार के संवत्सर का नाम पिंगल है और इस संवत्सर के राजा बुध हैं ।


उन्होंने बताया कि भारत में पूरी श्रद्धा के साथ चैत्र नवरात्र का त्योहार मनाया जाता है । मान्यता है कि चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा अवतरित हुई थीं और उन्हीं के कहने पर ब्रह्मा जी ने सृष्टि निर्माण का कार्य प्रारंभ किया था । चैत्र माह की नवमी तिथि को भगवान विष्णु ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र के रूप में अवतार लिया था ।  इसलिए यह दिन रामनवमी के रूप में मनाया जाता है।

कॉलेज प्राचार्य डॉ. अनुपम अरोड़ा ने हनुमान चालीसा का पाठ करवाकर पूरे ऑडिटोरियम में बैठे श्रोताओं को एक नई जाग्रति व उर्जा से परिपूर्ण कर दिया । कॉलेज प्राचार्य ने अपने सन्देश में सभी विद्यार्थियों को उनके उज्जवल भविष्य की कामना की और उनको नवरात्री के उपलक्ष्य की शुभकामना दी व कहा की भारत के युवा को 2047 तक विकसित राष्ट्र के लक्ष्य की पूर्ति के लिय अति सकारात्मक भूमिका निभानी पड़ेगी । युवा को राष्ट्रीय संस्कार युक्त होना । युवा को भारतीय संस्कृति की विविध परम्पराओं व महत्व से अवगत होना पड़ेगा व अपने व्यक्तित्व में इन्हें आत्मसात व सार्थक करना पड़ेगा । इस राष्ट्र का विकास पूर्णत युवा कंधो पर है। इस अवसर पर प्राचार्य ने महाविद्यालय की एन.एस.एस. इकाई के कार्यकर्ताओं में राष्ट्रोंमुख व समर्पित होने की पप्रेरणा दी ।

इस अवसर पर डॉ संगीता गुप्ता, डॉ मुकेश पूनिया, डॉ. संतोष कुमारी, डॉ. सुशीला बेनीवाल, डॉ प्रियंका चांदना, प्रो. मयंक अरोड़ा, श्री दीपक मित्तल, विकास कुमार आदि उपस्थित रहे ।

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